arthik vikash ke soochak

arthik vikash ke soochak ke ghatak in hindi

Arthik vikas ke suchak pdf





आर्थिक विकास  के सूचक या संकेतक -

1)  राष्‍ट्रीय आय - 

प्रो. मेयर एवं बाल्‍डविन, कुजनेट्स आदि अर्थशास्‍त्री किसी भी  देश की वास्‍तविक राष्‍ट्रीय आय में बढ़ाने को उस देश के आर्थिक विकास को मापते है। वास्‍तविक  राष्‍ट्रीय आय में निरंतर और लम्‍बे समय तक होना चाहिए । इन अर्थशास्‍त्रीयों के अनुसार किसी देश के आर्थिक विकास की सबसे अच्‍छी माप वास्‍तविक आय में वृद्धि से होता है। न कि प्रति व्‍यक्ति आय में वृद्धि से होता है। प्रति व्‍यक्ति आय में वृद्धि एक भ्रमात्‍मक सूचक होता है। क्‍योंकि इससे विकास की  वास्‍तविक  स्थिति का  प‍ता नहीं चलता है। 

इस स्थिति में  दियो जाने वाले कुछ तर्क निम्‍नलिखित है- 

1) प्रति व्‍यक्ति आय में वृद्धि तभी सम्‍भव होती  है जबकि राष्‍ट्रीय आय में वृद्धि होती  है । इसलिए इसे राष्‍ट्रीय आय में वृद्धि को आर्थिक विकास का सूचक मानना अधिक अच्‍छा एवं उपयुक्‍त है। 

2) यदि किसी भी राष्‍ट्रीय आय में बढने के साथ - साथ उस देश की जनसंख्‍या में भी बढती जाती है और प्रति व्‍यक्ति आय में कोई बढ़ोत्‍तरी नहीं होगी । तो ऐसे यह समझना चाहिए कि उस देश का आर्थिक विकास नहीं हुआ, गलत नहीं होगा। 

3) आर्थिक विकास की वास्‍तविक एवं तुलनात्‍मक स्थिति का अध्‍ययन प्रति व्‍यक्ति आय में वृद्धि या बढने के आधार पर करना सम्‍भव नहीं होता है।  

2) प्रति व्‍यक्ति आय 

आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार जो अल्‍प - विकसित देशों की मुख्‍य समस्‍या वहाँ कि निवासियों के जीवन स्‍तर में सुधार की होती है। जीवन स्‍तर में सुधार तभी सम्‍भव होता है जब प्रति व्‍यक्ति आय में वृद्धि होती है । इसलिए अर्थशास्त्रियों के मत में आर्थिक विकास का सही सूचक है प्रति व्‍यक्ति आय में वृद्धि से होता है न कि राष्‍ट्रीय आय में वृद्धि से ।  


आर्थिक विकास के सूचक के रूप में प्रति व्‍यक्ति आय में वृद्धि के सम्‍बन्‍ध में कुछ तर्क देते है जो निम्‍नलिखित है- 


1)राष्‍ट्रीय आय में वृद्धि होने पर यदि किसी देश में इस  आय का असमानता वितरण हो रहा है तो उसे आर्थिक विकास का उचित सूचक नहीं है। 

2) आर्थिक विकास तभी सम्‍भव माना जाता है जब देश वासियों के जीवन स्‍तर में सुधार हो और यह प्रति व्‍यक्ति आय में बढ़ने से ही सम्‍भव होता है। 

3) आर्थिक विकास हेतु देश की कुल उत्‍पादन इस प्रकार बढ़ना चाहिए जिससे कि प्रति व्‍यक्ति उत्‍पादन बढ़ने के साथ उपभोग के स्‍तर को बढ़ाया जा सके । वास्‍तव में उपभोग स्‍तर बढ़ने पर ही व्‍यक्तियों के आर्थिक कल्‍याण में वृद्धि होगी ।

4) अल्‍प विकसित देशों में जनसंख्‍या बढने की दर बहुत अधिक होती है। अत: राष्‍ट्रीय आय में वृद्धि के साथ-साथ जनसंख्‍या वृद्धि को भी ध्‍यान रखा जाना चाहिए तभी तो आर्थिक कल्‍याण में वृद्धि ज्ञात की जा सकेगी । 

सूचकों का निष्‍कर्ष -

आर्थिक विकास के राष्‍ट्रीय आय तथा प्रति व्‍यक्ति आय सुचको का अध्‍ययन करने की समस्‍या यह है कि इनमें सबसे अधिक उपयुक्‍त सूचक कोन - सा है  वास्‍तव में इन दोनों ही सूचकों के अपने-अपने गुण एवं दोष है। अत: अल्‍प‍ विकसित देशों के लिए प्रति व्‍यक्ति आय और विकसित देशों के लिए राष्‍ट्रीय आय में वृद्धि को आर्थिक विकास का सबसे अच्‍छ एवं सर्वश्रेष्‍ठ संकेतक स्‍वीकार करते है। 

 मानव विकास सूचकांक क्या है

3) मानव विकास सूचकांक -

आर्थिक विकास के सूचकांक के रूप में प्रति व्‍यक्ति आय में वृद्धि को सबसे अच्‍छा प्रयुक्‍त किया जाता है । वर्तमान समय में इस सूचकांक में कुछ और संकेतक भी जोडे जाने की जरूरत महसूस हुआ है। अत: आर्थिक एवं समा‍जिक घटकों में मिला कर संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने एक नया संकेतक तैयार किया है जिसे मानव विकास सूचकांक कहा गया है । मानव विकास सूचकांक जीवन की गुणवत्‍ता के सम्‍बंध मे महत्‍वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इस कारण इसे जीवन की गुणवत्ता का सूचकांक भी कहा जाता है। 

मानव विकास सूचकांक से आप क्या समझते है?

मानव विकास सूचकांक का  आशय - 

आर्थिक विकास संकेतकों में मानव विकास सूचकांक का सर्वाधिक नवीन है । इसे संयुक्‍त राष्‍ट्र के द्वारा किया गया है । मानव विकास सूचकांक एक देश में मानव विकास की तीन आधारभूत मापों  में - जीवन प्रत्याशा एवं स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा एवं ज्ञान के अच्‍छे जीवन स्‍तर की सम्‍पूर्ण उपलब्धियों को मापता है। 

मानव विकास सूचकांक के प्रमुख घटक

मानव विकास सूचकांक निर्माण के संघटक  - 

संयुक्‍त राष्‍ट्र विकास कार्यक्रम UNDP  के अनुसार मानव विकास सूचकांक के घटक निम्‍नलिखित है- 

1. प्रति व्‍यक्ति वास्‍तविक सकल घरेलू उत्‍पाद - प्रति व्‍यक्ति आय आर्थिक विकास का संकेतक है । यह वस्‍तुओं एवं सेवाओं के समूह से प्राप्‍त संतुष्‍टि को मापने के लिए एक सबसे अच्‍छा घटक है । इन्‍ही कारण से व्‍यक्ति सकल घरेलू उत्‍पादन अर्थात प्रति व्‍यक्ति आय के कीमतों में परिवर्तन के साथ समायोजित किया जाता है। जिससे यह वास्‍तविक क्रय शक्ति को दिखाता है। 

2. पौढ़ साक्षरता दर - प्रौढ़ साक्षरता दर के साथ संयुक्‍त सकल नामांकन अनुपात शिक्षा उपलब्धि का एक अच्‍छा संकेतक है। दूसरे शब्‍दों में शैक्षिक उपलब्धि एवं वयस्‍क साक्षरता तथा स्‍कूल जाने के वर्षों के बीच की संयुक्‍त माप है इससे वर्तमान विकास हेतु उच्‍च कुशलता का निर्माण होता है। 

3. जन्‍म के समय जीवन प्रत्‍याशा - जन्‍म के  समय ही  जीवन प्रत्‍याशा या जिन्‍दा रहने की सम्‍भावित आयु में इस बात का पता चल जाता है कि वहॉं पर बाल मृत्‍यु दर एवं पोषण आदि में कितना  सुधार हुआ है यह देखा जा सकता है। 

इस प्रकार से मानव विकास सूचकांक एक आर्थिक और दो सामाजिक घटकों से मिलकर बना है । इसमें प्रति व्‍यक्ति की वास्‍तविक आय घटक देश के निवासियों की आर्थिक स्थिति को व्‍यक्‍त करता है । इसी प्रकार से साक्षरता दर तथा जीवन प्रत्‍याशा संघटकों से सामाजिक प्रगति का पता चलता है । इस प्रकार मानव विकास सूचकांक जीवन की गुणवत्‍ता के सम्‍बंध में महत्‍वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। 

आर्थिक विकास की माप के लिए सबसे उपयुक्त सूचकांक कौन है

जीवन गुणवत्ता सूचकांक

4) जीवन की गुणवत्ता सूचकांक - 

जीवन गुणवत्ता से आशय है व्‍यक्तियों के बीच में कुशलता व कल्‍याण की भावना से होता है। हमारे पास वातावरण में यदि वायु प्रदूषित हो , पीने के पानी शुद्ध न हो और गन्‍दगी का साम्राज्‍य हो तो ऐसी स्थिति में एक अच्‍छा जीवन कदापि नहीं कहा जा सकता है। फिर चाहे वह क्‍यों न हम अपनी जरूरतों की सभी वस्‍तुऍ बाजार से खरीदने में सक्षम हो । अत: जीवन गुणवत्ता के लिए आवश्‍यक है कि खाने के लिए भोजन , पहनने के लिए कपडे़ , और रहने के लिए घर, स्‍वास्‍थ्‍य सुविघा, कानूनी सहायता व सुरक्षा के साथ शुद्ध पानी, शुद्ध वायु, तथा शुद्ध वातावरण उपलब्‍ध  होना चाहिए इन सभी मदों को उच्छा स्‍वास्‍थ्‍य, कल्‍याण, चुनाव की स्‍वतन्‍त्रता तथा मूल स्‍वतंत्रताओं के घटकों में  रखा जा सकता है। 

जीवन की गुणवत्ता का अर्थ

जीवन की गुणवत्ता के लिए जरूरते - यह भी समाज में बिना किसी प्रकार के भेदभाव के सभी को समान रूप से उपलब्‍ध हो सके । जीवन को आर्थिक और अनार्थिक भागों में अलग नहीं किया जा सकता है, अत: आर्थिक श्रेणी में न आने वाले कुछ निश्चित  अधिकारों को भी जीवन  की गुणों में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा इन घटकों के साथ मान की स्‍वतन्‍त्रता भी  आवश्‍यक तत्‍व है । अत: यह कहा जाता है कि जीवन गुणवत्ता में राजनीतिक अधिकार एवं नागरिक अधिकारों को भी सम्मिलित किया जाना आवश्‍यक होता है। इस प्रकार जीवन की गुणवत्ता शब्‍द के प्रति व्‍यक्ति उच्‍च आय के साथ अन्‍य आयामों को  भी सम्मिलित करता है।  



आर्थिक विकास का महत्व

 

arthik vikas ka mahatva


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आर्थिक विकास की विशेषताएं



आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्व


आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले गैर-आर्थिक घटक हैं